एक सामान्य शारीरिक मनोविज्ञान से जुड़ी प्रक्रिया है. इसे यौन तुष्टि हेतु पुरूष स्त्री सभी करते है. चरम उत्सर्ग को पाने के लिये सामान्य तौर पर यह हाथों द्वारा या फिर कई बार शारीरिक संपर्क(संभोग को छोड़कर) या वस्तुओं तथा उपकरणों का प्रयोग किया जाता है. हस्तमैथुन (masturbation) शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन शब्द manu stuprare (हाथ के साथ अशुद्धि) से मानी जाती है.
हस्तमैथुन तकनीक
दोनों लिंगों के लिये हस्तमैथुन की तकनीक समान है. इसमें जननांग या जननांग क्षेत्र में दबाव या रगड़ने की क्रिया अपनाई जाती है. इसके लिये उंगलियों, हथेली या किसी वस्तु जैसे तकिया आदि का इस्तेमाल सामान्य तौर पर किया जाता है. कई बार लिंग या योनि को उत्तेजित करने के लिये वाईब्रेटर(vibrators) का इस्तेमाल भी किया जाता है. कुछ लोग हस्त मैथुन को और उत्तेजक बनाने के लिये स्तनों या अन्य कामोद्दीपक अंगों को छूते, रगड़ते, चिकोटी आदि काटते हैं. कई बार दोनो लिंगो के लोग ज्यादा सनसनी पाने के लिये स्निग्ध पदार्थों ( lubricating) का भी प्रयोग अपने गुप्तांगो या उपकरणों पर करते हैं.
पुरूष कैसे करते है
पुरुषों द्वारा हस्तमैथुन की तकनीक कई कारकों तथा व्यक्तिगत पसंद से प्रभावित होती है तथा यह सामान्य तथा खतना वाले लिंगों में भी अलग-अलग हो सकती है. हस्तमैथुन के कुछ तरीके किसी के लिये सामान्य तो किसी के लिए पीड़ा दायी भी हो सकते हैं. इसलिये यह अलग-अलग लोगों द्वारा अलग अलग तरीके से किया जा सकता है. हस्तमैथुन के सामान्य व प्रचलित तरीके में पुरुष अपने शिश्न को अपनी हथेली मे दबा कर अपनी अंगुलियाँ से इसे पकड़ लेते हैं, और इसे रगड़ना और हिलाना शुरु करते है. इस दौरान वे लिंग की अग्रत्वचा को हथेली में दबा कर उपर नीचे करते हैं. यह प्रक्रिया कभी कभी चिकनाई लगा कर भी करते है । ये कार्य वे तब तक करते है जब तक उनका वीर्यपात नहीं हो जाता है. अग्र त्वचा को हथेलियों में दबाकर उपर नीचे करने की गति अलग-अलग लोगों में अलग-अलग हो सकती है तथा स्खलन के ठीक पहले यह गति तेज हो जाती है. इसके अलावा कई लोग हस्तमैथुन के लिये शिश्न मुण्ड को भी सहलाकर या रगड़ कर हस्तमैथुन की क्रिया कारित करते हैं. इस क्रिया को खड़े होकर, बैठ कर, लेट कर किया जा सकता है.
स्त्री कैसे करती है
महिलाएं हस्तमैथुन के लिये सामान्य तौर पर अपनी योनि या भग क्षेत्र को सहलाकर, रगड़कर या फिर थपथपा कर चरमोत्कर्ष को प्राप्त करती हैं. इसके लिये ज्यादतर वे अपनी भगशिश्निका या फिर योनि का उपयोग करती है तथा अपनी मध्यमा या बीच की उंगलियों का सहारा लेती है. कुछ महिलाएं इसके लिये वाइब्रेटर का भी प्रयोग करती है. भगशिश्निका को तो सहलाकर उद्दीप्त किया जाता है लेकिन योनि के अंदर उंगलियां डालकर अंदर बाहर किया जाता है. इस क्रिया के लिये वे अपना भगशिश्न को रगडना शुरु कर देती है इसके बाद वे अपनी योनि मे अन्गुली या कोई वस्तु डाल कर लिन्ग प्रवेश का सुख अनुभव करती है ये कार्य वे तब तक जारी रखती है जब तक वे मदनोत्कर्ष तक नहीं पहुचं जाती है. यह क्रिया बैठे-बैठे टांगे फैलाकर, लेटे हुए टांगे खोल कर या उठा कर, खड़े होकर, या फिर खुली टांगों के साथ घुटने के बल बैठकर संपादित की जा सकती है.
परस्पर हस्तमैथुन
जब दो या दो से ज्यादा समान या विपरीत लिंग के लोग एक दूसरे को हाथों द्वारा यौन सुख प्रदान करते है उसे परस्पर हस्तमैथुन कहा जाता है. जब स्त्री-पुरूष दोनो एक दूसरे को यौन सुख देने हेतु एक दूसरे का हस्तमैथुन करते है. यह क्रिया उपर दिये गए तरीके या फिर किसी अन्य तरीकों द्वारा अलग- अलग पसंदीदा पोजीशनों में की जा सकती है.
हस्तमैथुन आवृत्ति, उम्र और सेक्स
हस्तमैथुन की आवृत्ति कई कारकों पर निर्भर करती है मसलन यौन तनाव की प्रतिरोध क्षमता, यौन उत्तेजना को प्रभावी करने वाले हार्मोन का स्तर, यौन आदतें, उत्तेजना का प्रभाव, संगत तथा संस्कृति का असर. चिकित्सा कारणों को भी हस्तमैथुन से संबद्ध किया गया है. विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि मानवों में हस्तमैथुन सामान्य तथा अंतराल में की जाने वाली क्रिया है. अल्फ्रेड किन्सी ने अपने शोध में पाया है कि 92% पुरुष तथा 62% महिलाएं अपने जीवनकाल
में हस्तमैथुन करते हैं. इसी प्रकार के परिणाम एक ब्रिटिश राष्ट्रीय संभाव्यता सर्वेक्षण में पाये गए है. जिसमें 95% पुरुष तथा 71% महिलाएं अपने जीवनकाल में हस्तमैथुन करते हैं. वर्ष 2004 में टोरंटो पत्रिका के सर्वेक्षण में हस्तमैथुन के चौंकाने वाले परिणाम सामने आए. परि णामों में पुरुषों का एक भारी बहुमत 81% ने 10 से 15 वर्ष के बीच ही हस्तमैथुन प्रारंभ कर चुके थे. ठीक कुछ इसी तरह के आंकड़े महिलाओं के भी सामने आए जिनमें 55% ने 10 से 15 वर्ष के बीच हस्तमैथुन का आनंद ले चुकी थीं. यहां एक और चौंकाने वाले तथ्य महिलाओं में सामने आए हैं. इन 55% महिलाओं में 18% ने 10 वर्ष की आयु से ही हस्तमैथुन प्रारंभ कर दिया था वहीं 6% ने 6 वर्ष की आयु में ही हस्तमैथुन किया इसकी वजह उनके घर के बड़े सदस्यों की नकल या उनके द्वारा उकसाया जाना सामने आयी. चाइल्ड सेक्सुअल्टी पर अध्ययन करने वाले दल ने अपने सर्वे में बताया कि कई बच्चे काफी कम उम्र में ही हस्तमैथुन करना शुरू कर देते हैं भले ही इस उम्र में उनमें स्खलन नहीं होता है.
NOW नामक पत्रिका ने अपने सर्वेक्षण में पाया कि 17 वर्ष की आयु के बाद हस्तमैथुन की आवृत्ति में गिरावट होने लगती है. इस सर्वे में पाया गया कि इस उम्र में ज्यादातर पुरुष रोज या रोज कई बार हस्तमैथुन करते हैं. वहीं 20 वर्ष की आयु में इस आवृत्ति में कुछ गिरावट आ जाती है. यह गिरावट इस उम्र की महिलाओं में ज्यादा तेजी से होती है वहीं पुरुषों में धीरे-धीरे होती है. महिलाएं 13 से 17 वर्ष की आयु के बीच में प्रतिदिन हस्तमैथुन करती हैं. वहीं 18 से 22 वर्ष की महिलाएं माह में 8 से 9 बार हस्तमैथुन करती हैं जबकि इस उम्र में पुरुषों द्वारा हस्तमैथुन लगभग 12 से 18 बार किया जाता है. सर्वेक्षण से पता चला है कि किशोरवय युवा एक दिन में 6 बार तक हस्तमैथुन द्वारा स्खलन को पा चुके हैं. वहीं प्रोढ़ दिन में एक बार हस्तमैथुन द्वारा स्खलन प्राप्त करते पाए गए हैं. इसके अलावा 21 से 28 वर्ष के स्वस्थ युवा एक दिन में 8 से 10 बार तक हस्तमैथुन द्वारा स्खलन को प्राप्त करते पाए गए हैं. यह सर्वे विकसित देशों के हैं इसलिये अलग-अलग क्षेत्रों व संस्कृति के अनुसार इन आंकड़ों में परिवर्तन अवश्यंभावी है.
इन सर्वेक्षणों से एक परिणाम यह भी सामने आया है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में हस्तमैथुन को कम तरजीह देती वजाय विपरीत सेक्स करने के. इसके अलावा वे लोग जो यौन रिश्तों में सक्रिय नहीं है वे हस्तमैथुन ज्यादा करते है. जो लोग सेक्स कर रहे होते हैं उनके द्वारा हस्तमैथुन की आवृत्ति कम हो जाती है. वहीं जो लोग समलैंगिक होते हैं उनके द्वारा हस्तमैथुन क्रिया ज्यादा की जाती है.
सर्वे में यह साबित हुआ है सेक्स क्रिया की आवृत्ति का हस्तमैथुन की आवृत्ति से काफी संबंध हैं. अर्थात सेक्स ज्यादा करने पर हस्तमैथुन कम होगा तथा सेक्स रिलेशन कम होने पर हस्तमैथुन ज्यादा होगा. इसी प्रकार संस्कृति से भी हस्तमैथुन का जुड़ाव है. मसलन एरीजोन के होपी, ओसिआनिया के वोगेनो और अफ्रीका के डहोमीन्स और नामू संस्कृतियों में पुरुषों को नियमित हस्तमैथुन के लिये प्रोत्साहित किया जाता है. ठीक इसी तरह मिलानेसियन समुदायों के बीच युवा लड़कों द्वारा हस्तमैथुन के प्रति आशान्वित रहा जाता है. ऐसा ही एक रोचक मोड़ न्यू गिनी की सांबिया जनजाति का है. यहां मुखमैथुन द्वारा वीर्यपात को पुरुषत्व के नजरिये से सामाजिक संस्कारों के रुप में लिया जाता है. यहां वीर्य को मूल्यवान तथा हस्तमैथुन को वीर्य नष्ट करने वाला माना जाता है फिर भी हस्तमैथुन प्रोत्साहन को प्राप्त है. वहीं कुछ संस्कृतियों में बतौर संस्कार पहले वीर्यपात की क्षमता को उसके पुरुषत्व का पैमाना माना जाता जो हस्तमैथुन द्वारा होता है. इसी प्रकार अगाटा व फिलीपींस की कुछ जनजातियों में कम उम्र से यौवनारंभ तक जननांगो की उत्तेजना को प्रोत्साहित किया जाता है. वहीं भारत व कई एशियाई देशों में हस्तमैथुन को सामाजिक तौर पर उतने बेहतर नजरिये से नहीं देखा जाता है. यहां विवाह के पूर्व किसी कृत्रिम तरीके से वीर्यपात को गलत माना जाता है लेकिन इन क्षेत्रों में भी अब परिवर्तन नजर आने लगा है और युवा पीढ़ी मान्यताओं के विपरीत जाने लगी है. आजकल तो हस्तमैथुन स्वस्थ व्यवहार व सुरक्षित पद्धति के रूप में स्वीकार किया जाता है बजाय एक असुरक्षित संभोग के.
विकासवादी उपयोगिता
संभोग के दौरान हस्तमैथुन से प्रजनन क्षमता में वृद्धि हो सकती है. महिला हस्तमैथुन से योनि,ग्रीवा और गर्भाशय की स्थिति बदलती है, इस तरह हस्तमैथुन के समय के आधार पर संभोग को दौरान गर्भाधान ने चांस भी बदल जाते हैं. महिलाओं में संभोग सुख के एक मिनट पहले और 45 मिनट बाद तक वीर्यरोपण के लिये शुक्राणु के अण्डे तक जाने की संभावना ज्यादा होती है. इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि यदि एक महिला एक की अपेक्षा ज्यादा पुरुषों से संसर्ग करती है तो उसके गर्भधारण करने के चांस ज्यादा होंगे ठीक उसी तरह संभोग के दौरान हस्तमैथुन है. महिला हस्तमैथुन उसे गर्भाशय की ग्रीवा के संक्रमण से बचाता है जो उस क्षेत्र से स्त्रावित होने वाले द्रव की अम्लता की वजह से हो सकता है. इसी तरह पुरुषों द्वारा किए गए हस्तमैथुन से पुराने शुक्राणु बाहर निकाल दिये जाते हैं. इस प्रकार अगले वीर्यपात में जो शुक्राणु बाहर आते हैं वे ज्यादा फ्रेश होते हैं जिसकी वजह से गर्भाधान की संभावना भी ज्यादा होती है. स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक प्रभाव लाभ हस्तमैथुन का शारीरिक लाभ ठीक संभोग की ही तरह होता है इसमें बढ़े रक्त संचार की वजह से चेहरा प्लावित रहता है तो कई तरह के तनावों से भी छुटकारा मिलता है. कई बार यह अवसाद की स्थितियों को भी दूर करता है. हस्तमैथुन भागीदारों के रिश्ते को भी बराबर करता है जैसे यदि कोई एक भागीदार ज्यादा सेक्स चाहता है इस अवस्था में हस्तमैथुन भागीदारिता को संतुलित कर सकता है. वहीं हस्तमैथुन द्वारा चरमोत्कर्ष के आनंद को भी बढ़ाया जा सकता है. वर्ष 2003 में आस्ट्रेलियाई रिसर्च टीम ने एक अनुसंधान द्वारा पता लगाया है कि हस्तमैथुन प्रोस्टेट कैंसर की रोक में भी सहायक होता है. इसके अलावा हस्तमैथुन परपुरुष व परस्त्री गामी लोगों को होने वाली बीमारियों से बचाव करता है, अर्थात हस्तमैथुन यौन संक्रमित रोगों के संपर्क के जोखिम से भी रक्षा करता है.
रक्तचाप(Blood pressure)
हस्तमैथुन दोनों लिंगों के लिए रक्तचाप कम रखने में सहायक होता है. शोध द्वारा यह पता चला है जो लोग संभोग या हस्तमैथुन करते है उनका रक्तचाप ज्यादा बेहतर रहा बजाय उनके जो कि किसी यौनिक क्रिया में शामिल नहीं रहे हैं.
प्रवेशन
हस्तमैथुन के लिये यह ध्यान रखना चाहिये कि महिलाएं अपने गुप्तांगों में जिस किसी भी ची ज को प्रवेश कराती हैं वह पूर्ण रूप से साफ सुथरी तथा संक्रमण मुक्त हो. इसी तरह पुरुष को भी ध्यान रखना चाहिए कि उसकी हथेलियां भी साफ हो या यदि वह कोई उपकरण प्रयोग कर रहा हो तो वह भी साफ व संक्रमण मुक्त हो. इसके अलावा यदि कोई उपकरण प्रयुक्त किये जा रहे हों तो यह ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि उनमें किसी प्रकार की खरोंच न हो. अन्यथा वह गुप्तांगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
चिकित्सकीय नजरिया
20वीं शताब्दी के पहले तक चिकित्सकीय नजरिये से हस्तमैथुन को गलत माना जाता था. तब बताया जाता था कि यह आत्म प्रदूषण की क्रिया है. तथा इसमें जिस वीर्य का पतन होता है वह काफी आवश्यक द्रव्य है. इसके पतन से अनेक व्याधियां मसलन स्मरण शक्ति में कमी, सिर दर्द, खून में कमी आदि आती है. तब एक मिथक भी प्रचलित रहा कि 40 बूंद खून से वीर्य की एक बूंद बनती है इस लिये हस्तमैथुन से वीर्य का नाश करना शरीर को नुकसान पहुंचाना है. लेकिन आधुनिक चिकित्सकीय खोजों तथा वीर्य पर किये विस्तृत अध्ययन ने यह सभी पुरानी चिकित्सकीय धारणाएं बदल दीं तथा बताया गया कि वीर्य का खून से कोई लेना देना नहीं होता है. यह शरीर में सतत निर्माण होने वाली क्रिया के तहत लगातार शरीर में उत्पादित होता रहता है. यदि इसे कृत्रिम तरीके से न निकाला जाय तो उत्पादन ओव्हर फ्लो होने पर अपने आप बाहर निकल सकता है. साथ ही हस्तमैथुन से लिंग का झुकाव भी किसी दिशा विशेष में नहीं होता जैसा कि मिथक में लोग कहते हैं कि हस्तमैथुन से उनका लिंग एक दिशा में झुक गया है. न ही हस्तमैथुन से लिंग की लंबाई बढ़ती या घटती है. कुल मिलाकर हस्तमैथुन एक सामान्य यौनिक प्रक्रिया है जिससे घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है.
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