Sunday, April 18, 2010

बच्‍चा पैदा होने के बाद सेक्‍स

यदि आपकी जीवन संगिनी गर्भावस्‍था से गुजर रही है और डॉक्‍टर ने आपको सेक्‍स करने से मना किया है, तो यह मत सोचिए कि बच्‍चा पैदा होने के तुरंत बाद आप संभोग कर सकेंगे। तमाम पुरुष सोचते हैं कि बच्‍चा पैदा होने के तुरंत बाद वे अपनी संगिनी के साथ यौन संबंध स्‍थापित कर सकते हैं, लेकिन जो लोग ऐसा सोचते हैं या करते हैं, वे गलत हैं। इससे स्‍त्री के स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचता है।

यदि आप यह सोचते हैं कि बच्‍चा पैदा होने के बाद आपको अपनी पत्‍नी से उतना ही यौन सुख मिलेगा, जितना मिलता आया है, तो भी आप गलत हैं। सबसे अहम बात यह है कि बच्‍चे को जन्‍म देना एक महिला के लिए सबसे कठिन प्रक्रिया होती है। लोगों को देखने में भले ही आसान लगे, लेकिन बच्‍चा पैदा होते वक्‍त महिला जीवन और मौत के बीच से गुजरती है।



इस प्रक्रिया के बाद योनी की मासपेशियां खिंचने के साथ-साथ टूट जाती हैं। इसी लिए डिलीवरी के दौरान असहनीय दर्द होता है। कई बार तो मासपेशियों से रक्‍त तक बहने लगता है। ऐसे में यदि आप डिलीवरी के एक दो दिन बाद ही संभोग करना स्‍त्री के लिए कष्‍टदायक हो सकता है। डॉक्‍टरों के मुताबिक नॉर्मल डिलीवरी के करीब छह सप्‍ताह तक संभोग नहीं करना चाहिए। उसके बाद भी डॉक्‍टर की सलाह लें तो अच्‍छा रहता है। क्‍योंकि मासपेशियों के घाव को भरने में पांच से छह सप्‍ताह तक लग ही जाता है। ऐसे में अगर आप सेक्‍स करेंगे तो योनी में इंफेक्‍शन होने का खतरा भी बढ़ सकता है।

सेक्‍स के प्रति उदासीनता की बात करें तो आमतौर पर स्त्रियां डिलीवरी के बाद इसके प्रति उदासीन हो ही जाती हैं। उनके अंदर हार्मोर्न्‍स में परिवर्तन के कारण ऐसा होता है। यही नहीं इस कारण उन पर मानसिक दबाव भी बढ़ जाता है। बहुत कम महिलाएं होती हैं, जिनके साथ ऐसा नहीं होता। इसलिए हो सकता है डिलीवरी के तीन-चार महीने बाद भी स्‍त्री के अंदर सेकस करने की चाह नहीं उठे।



ऐसे में बच्‍चे की मां और पिता दोनों की जिम्‍मेदारी बनती है कि वे छह महीने तक संभोग से बचना चाहिए। यही नहीं यदि स्‍त्री पास आने के लिए मना कर दे तो उसे लेकर झगड़ा नहीं करना चाहिए। सबसे बड़ी बात यह है कि डिलीवरी के छह महीने के बाद भी स्त्रियां जब संभोग करती हैं तो चरम सीमा तक पहुंचने में उन्‍हें काफी दिक्‍कत होती है। लेकिन ऐसा लगभग सभी के साथ होता है।

हां आप अपने साथी को करीब लाने के लिए ओरल सेक्‍स कर सकते हैं, लेकिन उसमें भी ऐसा कोई काम न करें, जिससे स्‍त्री के घावों में दर्द होता हो। सबकुछ नॉर्मल होने के बाद भी अगर संभोग करें तो कॉन्‍ट्रासेप्टिव का इस्‍तेमाल करना मत भूलें, क्‍योंकि ऐसे में महिलाओं के अंदर दोबारा गर्भधारण के चांस बढ़ जाते हैं।
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लिंग में भी हो सकता है फ्रेक्‍चर!


हाथ, पैर, कमर, आदि के फ्रेक्‍चर के बारे में आप हमेशा से सुनते आए होंगे, लेकिन क्‍या आपको मालूम है कि आपके लिंग [^] में भी फ्रेक्‍चर हो सकता है? यह सवाल आपको बड़ा अटपटा लगा होगा। सोच रहे होंगे आखिर बगैर हड्डी के फ्रेक्‍चर कैसे हो सकता है, लेकिन यह सही है। असल में लिंग की ऊतक यानी टिश्‍यूज़ जब टूट जाती हैं, तो उसे पेनाइल फ्रेक्‍चर कहते हैं। इसे ब्रोकेन पेनिस भी कहा जाता है।

कामसूत्र में कहा गया है कि संभोग प्रेम का स्‍वरूप है। अब प्रेम के इस स्‍वरूप में अगर आप उत्‍तेजना में आकर भयावह रूप धारण कर लेते हैं, तो आपको या आपकी संगिनी दोनों को नुकसान पहुंच सकता है। पुरुषों की बात की जाए तो ज्‍यादा उत्‍तेजित होकर गलत ढंग से सेक्‍स करने से पेनाइल फ्रेक्‍चर हो सकता है। यही नहीं अचानक चोट लगने से भी ऐसा हो सकता है।



चिकित्‍सकों के मुताबिक लिंग के अंदर दो नलियां होती हैं, जो मांसपेशियों के बीच से होकर जाती हैं। ये वो मांसपेशियां होती हैं, जो सेक्‍स के समय कड़ी हो जाती हैं। जिस समय लिंग कड़ा व मोटा हो जाता है, तब मांसपेशियों में खिंचाव होता है। ऐसी स्थिति में यदि टिश्‍यू पर आघात पहुंचता है तो वो टूट जाती हैं। उस दौरान हलका स खून भी निकलता है। लिंग में सूजन आ जाती है। लिंग नीला पड़ जाता है। लिंग एकदम से ढीला पड़ जाता है, लेकिन उसमें सूजन बनी रहती है। ऐसी स्थिति में असहनीय दर्द उठता है। पेनाइल फ्रेक्‍चर लिंग को जबरदस्‍ती मोड़ने या मरोड़ने से भी हो जाता है। संभोग के दौरान पेनाइल फ्रेक्‍चर होने का खतरा सबसे अधिक तब होता है जब स्‍त्री पुरुष के ऊपर होती है। यही नहीं फोर-सेक्‍स के दौरान भी ऐसा संभव है।

सर्जरी ही इसका इलाज

पेनाइल फ्रेक्‍चर होने पर इसका सिर्फ एक मात्र इलाज है। वो है सर्जरी। ज्‍यादातर मामलों में सर्जरी सफल होती है। यौन चिकित्‍सकों के मुताबिक सर्जरी के बाद फिर से सेक्‍स करने में सक्षम हो जाता है। लेकिन यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो आगे चलकर गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है।
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Tuesday, March 23, 2010

कहीं आपको सेक्‍स की लत तो नहीं?

क्‍या आपको बार-बार सेक्‍स करने का मन करता है? क्‍या आप किसी महिला को देखते ही उत्‍तेजित होने लगते हैं? क्‍या आपसे रोज़ाना मैथुन किए बगौर रहा नहीं जाता? या फिर आपको पोर्न मूवीज़ व चित्र देखना बहुत पसंद है। यदि ऐसा आपके साथ होता है, तो सतर्क हो जाइये, क्‍योंकि ये सभी सेक्‍स की लत लग जाने के गुण हैं। आप सोच रहे होंगे, धूम्रपान, मदिरापान, चाय, आदि की लत तो सुनी थी लेकिन सेक्‍स की लत भी क्‍या किसी को लगती है।




सेक्‍स तो एक प्राकृतिक क्रिया है, इसे लत का नाम कैसे दिया जा सकता है... आपके मन में उठ रहे सवाल लाज़मी हैं, लेकिन यह मत भूलें कि हर वो चीज़ जो सामान्‍य से अधिक हो वो लत है और बुरी लत हमेशा व्‍यक्ति को पर नकारात्‍मक असर छोड़ती है।



क्‍या है सेक्‍स की लत



चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर सेक्‍स कब बुरी लत में बदल जाता है। इसे सेक्‍सुअल एडिक्‍शन भी कहते हैं। सीधी भाषा में कहें तो जब यौन क्रियाएं कंट्रोल से बाहर हो जाएं तो उसे सेक्‍स की लत कहते हैं। जिस व्‍यक्ति को यह लत लग जाती है वो अपना अधिकांश समय यौन क्रियाओं में व्‍यतीत करना पसंद करता है। उसे जब मौका मिलता है, तब वो सेक्‍स के बारे में सोचने लगता है। इससे उसके व्‍यवहार में भी बदलाव आता है, जिसका असर उसके निजी, सामाजिक और व्‍यवसायिक जीवन में पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए सेक्‍स उनके परिवार, दोस्‍तों और काम से ऊपर होता है।



आम तौर पर यह लत टीन एज में लगती है। कई लोग कुछ दूरी तक जाकर संभल जाते हैं, लेकिन जो लोग शुरु में नहीं संभते हैं, वे 40 की उम्र के बाद तक सेक्‍स के लिए लालायित रहते हैं। यह लत भी ठीक उसी प्रकार लगती है, जैसे शराब या धूम्रपान की। सेक्‍स के दौरान हमारे शरीर से एक प्रकार का द्रव्‍य निकलता है, जो हमें असीम यौन सुख का अहसास कराता है। कुछ लोग जो बार-बार यौन सुख की अनुभूति की चाह रखते हैं, उन्‍हें यह लत जल्‍दी लग जाती है। उनकी लत की शुरुआत मैथुन यानी मास्‍टरबेशन से होती है। बंद कमरे में वो बार-बार मैथुन करते हैं।


मौका मिलने पर पोर्न वेबसाइट, किताबें या फिल्‍में देखते हैं। कई बार तो फिल्‍म देखते-देखते ही मैथुन करने लगते हैं। ऐसे लोग उन घरों में ताका-झांकी करने से भी पीछे नहीं रहते हैं, जहां लड़कियां रहती हैं। यह केवल लड़कों के साथ ही नहीं लड़कियों को भी सेक्‍स की लत लग जाती है, तो वो भी ऐसा ही करने लगती हैं। जाहिर है हद से ज्‍यादा मैथुन करने के भी दुष्‍प्रभाव हैं। उसका सीधा असर स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ता है।



ऐसे लोग ज्‍यादातर अकेले रहन पसंद करते हैं। लोगों से घुलने-मिलने में उन्‍हें काफी परेशानी होती है, वो इसलिए क्‍योंकि उनके मन में हमेशा यह सवाल गूंजता रहता है कि वो सेक्‍सुअली कमजोर हैं। इसका असर उनके कॅरियर पर भी पड़ता है। कई बार जहां सेक्‍स की बातें चल रही हों, वहां उनके मन में अपने प्रति हीन भावनाएं आने लगती हैं।



इस लत के और भी असर होते हैं। इंटरनेट के माध्‍यम से फ्री क्‍लासीफाइड पर पर्सनल विज्ञापन देकर डेटिंग करना आम है। ऐसे लोग मौका मिलने पर वेश्‍यावृत्ति के समय सोचते नहीं हैं। कई बार असुरक्षित यौन संबंध तक स्‍थापित कर बैठते हैं। जिस कारण उन्‍हें यौन जनित रोग लगने का खतरा रहता है।



इंटरनेट पर जब भी किसी से चैट करते हैं, तो घुमा-फिरा कर अपनी बातों को सेक्‍स की ओर ले जाते हैं। ऐसे लोगों को टेलीफोन पर सेक्‍स की बातें करना पसंद होता है। ऐसे पुरुषों के अंदर लड़कियों का यौन शोषण करने की प्रवृत्ति ज्‍यादा होती है। क्‍योंकि उनके मन में हमेशा हर काम के बदले में सेक्‍स की चाहत होती है। इन्‍हीं कारणों से सेक्‍स की लत लगने पर सामाजिक जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। अब अगर पारिवारिक जीवन की बात करें तो जीवन साथी से रिश्‍ते टूटने की बात तभी आती है, जब आपका अफेयर किसी अन्‍य से भी हो। सेक्‍स की लत लगने पर व्‍यक्ति एक से अधिक लोगों से संबंध तक बनाने में पीछे नहीं हटते।



जब स्त्रियों को लगती है सेक्‍स की लत



सेक्‍स की लत सिर्फ पुरुषों को ही नहीं लगती है, स्त्रियां भी इसका शिकार हो सकती हैं। ऐसा होने पर वो भी पोर्नोग्राफी, टेलीफोन सेकस, इंटरनेट सेक्‍स, आदि करने लगती हैं। यही नहीं उन्‍हें भी जब अकेले मौका मिलता है तो वो भी मैथुन करती हैं। यही नहीं ऐसी स्त्रियां भी एक से ज्‍यादा लोगों से संबंध स्‍थापित करने में पीछे नहीं हटतीं। कई बार लड़कियां वेश्‍यावृत्ति में भी पड़ जाती हैं।



यही कारण है कि 40 प्रतिशत लड़कियों का अनचाहा गर्भधारण इसी लत की वजह से होता है। हाल ही में हुए एक अध्‍यन की मानें तो सेक्‍स एडिक्‍शन की वजह से 70 प्रतिशत लोगों के वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है। 40 प्रतिशत के साथी उन्‍हें छोड़ देते हैं। 72 प्रतिशत आत्‍महत्‍या के प्रयास करते हैं, 68 प्रतिशत लोग यौन जनित बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं और 27 प्रतिशत लोगों का कॅरियर चौपट हो जाता है। ये आंकड़े पुरुष और स्त्रियों दोनों पर हुए अध्‍यन के हैं।
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Sunday, March 14, 2010

क्‍या स्कूलों में यौन शिक्षा उचित है?





यौन शिक्षा संबंधी सामग्री संतुलित होनी चाहिए। न तो इसमें एकदम खुलापन हो और न ही इसे बिल्कुल खत्म कर दिया जाए। यह कहना कि बच्चों को यौन शिक्षा देने की आवश्यकता नहीं है एकदम बेहूदा तर्क है।



देश की अधिकांश आबादी गांवों में निवास करती है और जिसका सामाजिक-सांस्कृतिक ताना-बाना कुछ विशेष तरह का होता है। इस कारण जहां खुलेआम सेक्स की बात भी नहीं होती, वहां स्कूलों में यौन शिक्षा की चर्चा से हड़कंप मचना स्वाभाविक ही है। यौन शिक्षा के नमूने, खासकर सचित्र किताबों ने तूफान खड़ा कर रखा है। कई राज्यों की सरकारें, सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाएं और राजनीतिक व गैर राजनीतिक संगठन इस पर आपत्ति उठा रही हैं। परंतु दूसरी ओर इसके समर्थकों का मानना है कि इस विषय को प्रतिबंधित न किया जाए। हां, यौन शिक्षा संबंधी सामग्री संतुलित होनी चाहिए। न तो इसमे एकदम खुलापन हो और न ही इसे बिल्कुल खत्म कर दिया जाए। यह कहना कि बच्चों को यौन शिक्षा देने की आवश्यकता नहीं है एकदम बेहूदा तर्क है। सर्वेक्षण से पता चला है कि किशोर उम्र के लड़के कभी-कभी यौन संबंध कायम कर ही लेते हैं। भारत में प्रसूति के कुल मामलों में 15 प्रतिशत किशोर उम्र की लड़कियां शामिल होती हैं।







देश में इस समय 52 लाख लोग एचआईवी से पीडि़त हैं, जिनमे 57 फीसदी मामले ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। एड्स नियंत्रण का दायित्व संभालने वाला राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) कई राज्यों की आपत्ति के चलते स्कूलों में उपलब्ध कराई जाने वाली यौन शिक्षा सामग्री की समीक्षा करने को तैयार है। नाको का मानना है कि सेक्स की शिक्षा के लिए सचित्र किताबे वरिष्‍ठ शिक्षकों के लिए हैं। वह इनसे जानकारी हासिल कर बच्चों को समझाएंगे। उसका मानना है कि इस सामग्री से किशोरो को शरीर और शारीरिक परिवर्तनों के बारे में आधारभूत सूचना मिलती है। यदि बच्चों को यौन शिक्षा नहीं दी जाए तो वे गलत फैसला ले सकते हैं जिससे उनके भविष्य और स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ सकता है।







इसके विपरीत स्कूली बच्चों को यौन शिक्षा के विचार के विरोधियों का तर्क है कि इससे लोगों की सांस्कृतिक संवेदना को चोट पहुंचती है। इस सरकारी फैसले के पीछे विदेशी हाथ है। वह यौन शिक्षा को सामाजिक ढांचे के लिए 'सुनामी' से भी ज्यादा घातक मान रहे हैं। उनका मानना है कि इससे उल्‍टे अनैतिक सेक्स को बढ़ावा मिलेगा। विदेशी कंपनियों के सूत्र वाक्य 'कुछ भी करो, कंडोम का इस्तेमाल करो' से उनकी मंशा स्पष्ट है। सुरक्षित सेक्स का ज्ञान देकर कोमल व किशोर वय के लड़के-लड़कियों को देह-व्यापार के पेशे में उतारे जाने की आशंका जताई जा रही है। बैकाक और थाईलैड की तरह भारत को भी सेक्स टूरिज्म के बड़े बाजार के रूप में विकसित करने की विदेशी चाल के रूप में भी इसे देखा जा रहा है। एक संगठन ने तो इसके खिलाफ एक किताब 'रेड एलर्ट' छापी है। कुल मिलाकर स्कूलों में यौन शिक्षा के विरोधियों का मानना है कि बच्चों को यौन शिक्षा की नहीं बल्कि अच्छी जीवनशैली से अवगत कराने की जरूरत है। दूसरी ओर अब सवाल उठता है कि स्कूली बच्चों के लिए, जिसका कि दिमाग एक कोरे कागज के समान होता है, यौन शिक्षा एक गंभीर विषय है। ऐसे में जल्दबाजी में उठाया गया कोई भी कदम समाज और राष्ट्र के लिए घातक साबित हो सकता है। क्या इसके बदले में किशोरो को एचआईवी एड्स, नशीले पदार्थ की लत आदि के बारे में समुचित जानकारी देकर उनको मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए तैयार करना ज्यादा उचित नहीं होगा? इस बारे में आप क्‍या सोचते हैं हमें लिख भेजिए-



स्कूलो मे सेक्स शिक्षा होनी चाहिए। इससे लोगो को सही जानकारी मिल सकेगी। शिव कुमार, भोपाल, भारत।



भारत के स्कूलो मे यौन शिक्षा देना उचित नही है। अगर यह शुरू हुई तो इसका घोर विरोध होगा। विपिन कुमार मिश्रा, काठमांडो, नेपाल।







मेरे विचार से स्कूलो मे यौन शिक्षा देना सही नहीं है। क्योकि इस तरह की शिक्षा तो फिल्मो के द्वारा भी आसानी से दी जा सकती है। महेद्र मौर्या, नोएडा, भारत।



स्कूलो मे सेक्स शिक्षा देना सही है। सुधांशु, औरैया, भारत।



स्कूलो मे सेक्स शिक्षा देना सही नही है। प्रमोद चौहान, दिल्‍ली, भारत।







मेरे विचार से भारत सरकार के ऊपर पश्‍िचमी संस्कृति हावी होती जा रही है। पीडी यादव, गाजीपुर, भारत।



स्कूलो मे सेक्स शिक्षा भविष्य मे एड्स पर काबू पाने की दिशा में एक असरदार कदम साबित होगी। कुनवर, दिल्ली, भारत।



भारत एक महान देश है और इसकी संस्कृति श्रेष्‍ठ है। इस तरह की शिक्षा देना देश की संस्कृति को मिट्टी मे मिलाने के समान है। विवेक मिश्रा, चंदौली, भारत।
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Friday, March 12, 2010

यदि आप सेक्‍स में ज्‍यादा रुचि नहीं रखते हैं या फिर आप यौन बीमारी से ग्रसित हैं तो भविष्‍य में आपके साथ हृदयाघा यानी हार्ट अटैक की आशंका ज्‍यादा बनी रहेगी। यह बात पुरुषों पर तो सबसे ज्‍यादा लागू होती है। पुरुषों में यौन दुर्बलता उनके हृदय को कमजोर बनाती है।




हाल ही में हुए एक अध्‍ययन में यह बात एक नए अध्ययन में सामने आई है। अध्‍ययन के मुताबिक टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित मरीजों के अध्ययन से पता चला है कि उनमें इरेक्टल डिस्फंक्शन (ईडी) के लक्षण भविष्य में हृदय की बीमारी और यहां तक की कभी-कभी वह मौत का कारण भी बन सकता है। ईडी एक प्रकार की यौन बीमारी होती है।



मौत भी हो सकती है



चीन के पीटर चुग यिप तोंग विश्वविद्यालय में हुए इस अध्‍ययन के मुताबिक मधुमेह, ईडी और हृदय की बीमारी रक्त धमनियों को निष्क्रिय करने में महती भूमिका निभाती हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि हृदय की गति ठीक-ठाक बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि रक्त धमनियों का संचालन सही तरीके से हो नहीं तो हृदयाघात और मौत की गुंजाइश बनी रहेगी।



शोध प्रमुख चुन ईप टांग ने बताया, "हमने अध्ययन के दौरान देखा कि यौन दुर्बलता रक्त वाहिकाओं में मौजूद कोशिकाओं को निष्क्रिय बना देते हैं। इसके कारण शरीर के रक्त के संचालन में परेशानी उत्पन्न होती है और यह मृत्यु का कारण बनकर उभरता है।"



उन्होंने कहा कि रक्त के प्रवाह में दिक्कत आने से कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है जिसके कारण शरीर में रक्त के थक्के बन जाते हैं और यह हृदय की रक्त धमनियों के संचालन को बंद कर देता है जिससे हार्ट अटैक पड़ना निश्चित है।
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Thursday, March 11, 2010

संबंधों में सेक्‍स का महत्‍व

क्‍या आपकी पत्‍नी आपसे खुश नहीं रहती? महिलाओं की बात करें तो क्‍या आपके पती आपसे बात-बात पर नाराज़ हो जाते हैं? या फिर आप दोनों के बीच रोज-रोज झगड़े होते हैं? और आप इन सब बातों से परेशान रहते हैं। इसका हल आपके ही पास है। वो है सेक्‍स। जी हां पति-पत्‍नी के बीच प्‍यार को बढ़ाने का सबसे अच्‍छा माध्‍यम यही है। इससे न केवल आप एक-दूसरे को समझ सकते हैं, बल्कि दोनों के बीच संबंध और अच्‍छे होते हैं। इन सभी से जुड़े सवालों के जवाब हम आपको देंगे।




पति-पत्‍नी के संबंधों में सेक्‍स का काफी महत्‍व होता है, लेकिन यह आप ही तय कर सकते हैं कि यह किस तरह कारगर साबित हो सकता है। बहुत सारी महिलाएं ये मानती हैं कि सेक्‍स सिर्फ पुरुषों के लिए ही महत्‍वपूर्ण होता है, लेकिन बहुत सी ऐसी महिलाएं भी हैं जो अपने पार्टनर को सुख देने के लिए किसी भी वक्‍त सेक्‍स के लिए तैयार हो जाती हैं। सही मायने में सेक्‍स सिर्फ भौतिक सुख नहीं है, बल्कि मानसिक सुख भी है, जो हमारे जीवन में तनाव को कम करने के साथ-साथ खुशियां लाता है। सेक्‍स पति-पत्‍नी को भावनात्‍मक रूप से करीब लाता है।



कैसे बनती हैं दूरियां



सेक्‍स न करने की वजह से पति-पत्‍नी के बीच दूरियां भी बन सकती हैं। यदि आप सप्‍ताह में सिर्फ एक या दो बार ही अपने पार्टनर के करीब आते हैं तो यह गंभीर बात है। इससे दोनों तरफ न केवल मानसिक उलझनें उत्‍पन्‍न होती हैं, बल्कि तनाव भी बढ़ता है। सेक्‍स न करने की वजह से महिलाओं को लगने लगता है कि उनका पति उनसे प्रेम नहीं करता। वहीं पुरुषों को लगता है कि पत्‍नी को अब उनके करीब आने में रुचि नहीं है। यह दोनों बातें तब ज्‍यादा गहरी हो जाती हैं, जब परिवार में किसी भी प्रकार के झगड़े होते हैं। पत्‍नी असहाय महसूस करने लगती है।



वहीं पति को लगता है कि उनकी पत्‍नी उसकी भावना को नहीं समझती। देखते ही देखते बातें बढ़ती जाती हैं और संबंध कमजोर पड़ने लगते हैं। कई बार संबंध इतने बिगड़ जाते हैं कि एक-दूसरे को छोड़ने तक की नौबत आ जाती है।







पुरुष भले ही बंद कमरे की बातें अपने मित्रों के बीच नहीं करते हैं, लेकिन महिलाओं के बीच ऐसी बातें करना आम है। ज्‍यादातर महिलाएं जब अपनी सखी-सहेली से मिलती हैं, तो अकसर यौन संबंधों की बातें होती हैं। ऐसे में अगर आपकी पत्‍नी की सहेली यह कहती है कि वो अपने हफ्ते में सातों दिन अपने पति के करीब जाती है, या उसके पति जब मौका पाते हैं, उसके करीब आ जाते हैं... तो उस वक्‍त आपकी पत्‍नी के मन में यह भावना जरूर आएगी कि 'मेरे पति मुझे प्‍यार नहीं करते।' हालांकि आपकी पत्‍नी को उस समय झूठ बोलना पड़ता है। इसके अलावा यदि आपकी पत्‍नी अकेले बैठकर कोई ऐसी फिल्‍म देखती है, जिसमें पति-पत्‍नी के बीच बेशुमार प्‍यार है और वो रोजाना करीब आते हैं, तो भी उसके मन में ऐसी ही बातें आ सकती हैं। असल में यहीं से संबंधों में पहली दरार आती है।



वहीं अगर पुरुषों की बात करें तो उनके मन में संबंधों में खटास की बात तभी आती है, जब वो अकेले बैठकर अपनी सेक्‍सुअल लाइफ के बारे में सोचते हैं। इसके अलावा तब उनके दिल को और ज्‍याद ठेस पहुंचती है, जब वो सेक्‍स अपनी पत्‍नी के करीब आना चाहता है, और पत्‍नी मना कर दे। लाख मनाने के बाद भी अगर पत्‍नी करवट बदलकर सो जाती है, तो उसे लगने लगता है कि वो अपनी जिम्‍मेदारियों पर खरा नहीं उतर रहा। बाद में जब भी किसी प्रकार का झगड़ा होता है, तब वही गुस्‍सा दूसरी बातों पर फूट पड़ता है।



इन सभी बातों को अपने परिवार की सुख शांति से दूर रखने का सबसे अच्‍छा माध्‍यम सेक्‍स है। यदि आप हर रोज़ अपनी पत्‍नी के (महिलाएं अपने पति के) के करीब आते हैं तो दोनों के रिश्‍ते मजबूत होते हैं।



पुरुषों के लिए कुछ टिप्‍स



1. सेक्‍स का मतलब सिर्फ संभोग मत समझें। जब पत्‍नी राज़ी हो तभी संभोग करें। नहीं तो ओरल सेक्‍स तक ही सीमित रहें।

2. अकेले मिलने पर पत्‍नी को अपनी बाहों में भरें। चुंबन के माध्‍यम से अपने प्रेम का इज़हार करें।

3. करीब आते वक्‍त मन में किसी प्रकार का तनाव न रखें, न ही ऐसी बातें करें, जिनसे आपकी पत्‍नी नाराज़ हो सकती है।

4. करीब आने पर पत्‍नी से ऑफिस, मित्रों, परिवार के अन्‍य सदस्‍यों की बात बिलकुल मत करें। हो सके तो उससे पूछें कि उसके मन में क्‍या है।

5. यदि हाल ही में झगड़ा हुआ हो तो करीब आने पर पत्‍नी जो भी बात करे, उस पर सोच समझ कर ही बोलें। अनायास जवाब देने से वो फिर से रुष्‍ट हो सकती है।

6. बंद कमरे में अकेले मिलने पर तुरंत संभोग की बात मत करें, इससे नकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है।

7. करीब आने पर पत्‍नी को बाहों में भर लें, या सीने से लगा लें। चाहे कितना ही तनाव क्‍यों न हो पत्‍नी सब भूल जाएगी।

8. यदि संभव हो तो लाइट म्‍यूजि़क चला दें। कमरे की बत्‍ती डिम कर दें।

9. साफ कपड़े पहन कर ही करीब जाएं। शरीर से बदबू आती हो तो डियोडरेंट का इस्‍तेमाल करें।

10. संभोग के बाद तुरंत मत सोएं। जब तक पत्‍नी को नींद नहीं आ जाए, तब तक उससे बातें करते रहें।



महिलाओं के लिए टिप्‍स



1. कहते हैं पतियों के दिल तक पहुंचने का सबसे अच्‍छा रास्‍ता उनका पेट होता है। यदि पति से लड़ाई हो गई है, तो सबसे पहले उसके लिए उसके मन पसंद भोजन बनाएं। भोजन के वक्‍त कोई भी ऐसी बात मत करें, जिससे नाराज़गी बढ़ सकती है।

2. आम-तौर पर पुरुष ही सेक्‍स के लिए पहल करते हैं, लेकिन अगर आप पहल करेंगी, तो प्‍यार और बढ़ेगा।

3. करीब आने का सबसे अच्‍छा तरीका है पति से लिपट जाना। हो सकता है नाराज़गी के चलते वो कोई रिस्‍पॉन्‍स नहीं दे, ऐसा होने पर गुस्‍सा मत हों।

4. महिलाओं का सबसे बड़ा आकर्षण उनके कपड़ों से होता है। इसलिए ऐसे वस्‍त्र धारण करें, जो आपके पति को सबसे ज्‍यादा पसंद हों। अंत:वस्‍त्र भी।

5. करीब आने पर यह उम्‍मीद मत करें, कि पति तुरंत आपको बाहों में भर लेगा और संभोग शुरू हो जाएगा। सब कुछ धीरे-धीरे होने दें।

6. करीब आते वक्‍त उस बात को मत उखाड़ें, जिस पर पति नाराज़ हुआ था। दूसरों की बातें करने के बजाए अपनी बात करें।

7. संभोग से पहले पति को ओरल सेक्‍स के लिए प्रेरित करें। इसकी शुरुआत चुंबन से करें। यह इंतजार मत करें कि पति ही आपको बाहों में भरेगा, आप भी उसे अपने सीने से लगा सकती हैं।

8. यदि आपके पसीने में बदबू आती हो तो डियोडरेंट या परफ्यूम लगाकर करीब जाएं। ऐसा परफ्यूम जो पुरुषों को आकर्षित करता हो। बहुत ज्‍यादा मेकअप की जरूरत नहीं।

9. यदि पति किसी बात से परेशान हो, तो उसकी बात सुने और समझें। परेशानी का हल ढूंढ़ने के प्रयास करें।

10. संभोग के तुरंत बाद पति को अपने से अलग मत कर दें। कुछ देर तक प्‍यार भरी बातें करने से आपके संबंध पहले जैसे मधुर हो जाएंगे।
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Saturday, February 27, 2010

अन्य सेक्स पोजीशन (भाग1



सेक्स मूलतः रिश्तों की अंतर्दशा का शारीरिक पर्याय है. दो विपरीत लिंगियों या समलिंगिंयो के बीच के रिश्ते ही सेक्स की धारणा को मजबूत करते है. फिर उनके बीच रिश्तों की डोर कितनी मजबूत और किस स्तर की है इसपर भी सेक्स व उसका तरीका निर्भर करता है. रही बात आज के समय में रिश्तों की तो वह दिन-ब-दिन बदलते रहते है. यही वजह है कि सेक्स भी दिन-ब-दिन बदल रहा है.
कुछ लोगों की शिकायत होती है कि उनके सेक्स जीवन में नीरसता आ गई है. तो यहां भी रिश्तों की कमजोरी ही सामने आती है. क्योंकि कुछ समय बाद रिश्तों की गर्माहट भी कम होने लगती है. रही बात सेक्स नीरसता की तो रोमांच और परिवर्तन कुछ ऐसे पहलू है जो रिश्तों में तो गर्माहट लाते ही हैं साथ ही सेक्स को भी आनंददायी बनाने में सहायक होते हैं. यहां हम कुछ अन्य सेक्स पोजीशन दे रहे हैं जो काफी रोमांचक हैं. दूसरी ओर यह भी सत्य है कि परिवर्तन सदैव लोगों को पसंद आता है इसलिये जितनी ज्यादा पोजीशन की जानकारी होगा उतना ही बेहतर वे सेक्स करने में सफल हो सकते है.



1.महराब पोजीशनः
यह पोजीशन मिशनरी सेक्स पोजीशन का परिवर्तित रूप है. यह पोजीशन गहरा प्रवेश देती है तथा हस्त उत्तेजना का भी पर्याप्त अवसर देती है. यह आसान पोजीशन मानी जाती है तथा स्त्री-पुरुष दोनों को समान आनंद का अवसर प्रदान करती है. इस पोजीशन को पाने के लिये पीठ के बल महिला को लेटना होता है. फिर वह अपने तलवों को सतह पर रखकर पांव की पोजीशन ऐसे कर जैसे बैठने के दौरान होते है. अर्थात घुटनों से पांव मोड़ ले. इसके पश्चात महिला अपना भग क्षेत्र अपनी उच्चतम सीमा तक उपर उठाए इस दोरान उसके कंधे सतह से ही लगे रहेंगे. इसके पश्चात पुरुष घुटनों के बल उसके भग क्षेत्र के सामने से निकट पहुंचता है तथा योनि व शिश्न के एक सीध में आ जाने पर प्रवेश की क्रिया को अंजाम देता है. इसके पश्चात जब महिला स्थिर व दृढ़ अवस्था में आ जाए तो धक्के की क्रिया आरंभ कर दें. जब धक्कों की गति बढ़ानी हो तथा महिला से भी धक्कों की प्रतिक्रिया चाहनी हो तो अपने हाथों से उसके कूल्हों को पकड़े या सहारा दे सकते हैं. इस पोजीशन में पुरुष चाहे तो महिला के स्तनों या गुप्तांगों को सहला कर उत्तेजना में वृद्धि कर सकता है. मूल्यांकन
· महिला (Receiver) को सहूलियत ☻☻☻☺
· महिला (Receiver) को परेशानी ☻☺
· महिला (Receiver) को आनंद ☻☻☻☻☺
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· पुरुष (Giver) को सहूलियत ☻☻☻☻☺
· पुरुष (Giver) को परेशानी ☻
· पुरुष (Giver) को आनंद ☻☻☻☻
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· अंतरंगता (Intimacy) ☻☻☺
· प्रवेश की गहराई ☻☻☻☻☻
· प्रवेश की गतिशीलता ☻☻☻☻☻
उन्नयनः
तकियाः
 महिला अपने गर्दन व सर के नीचे तकिया रख कर पोजीशन को ज्यादा आरामदायक बना सकती है.हाथः पुरुष सेक्स क्रिया को ज्यादा आरामदायक बनाने के लिये महिला के कूल्हों को अपने हाथों का सहारा दे सकता है. परिवर्तनः
- गहरा भेदन
- ड्रिल पोजीशन
- मिशनरी पोजीशन

2.तितली पोजीशनः
यह महिलाओं
 की पसंदीदा पोजीशन मानी जाती है. जिन्हेंगुणवत्ता युक्त चरमोत्कर्ष की चाहत होती है उनके लिये यह पोजीशन काफी बेहतर मानी गई है. यह पोजीशन बगैर ज्यादा उर्जा खर्च किये कल्पनालोक की सैर कराती है. इस पोजीशन का सही आनंद उठाने के लिये महिला के लेटने का तरीका काफी महत्वपूर्ण होता है. इसके लिये महिला को सही उंचाई के बिस्तर, डेस्क, काउंटर, टेबल या फिर कार के हुड पर लेट सकती है लेकिन यह ध्यान रखें कि महिला का भगक्षेत्र लेटने वाले बिस्तर के किनारे पर होना चाहिए तथा पुऱुष के घुटनों से एक फीट से ज्यादा उपर न हो. अब जब महिला का पार्टनर उसके सामने हो तो वह पीठ के बल लेट जाए. इसके पश्चात अपने पैर उपर उठाकर पुरुष के कंधों पर टिका दें(यदि महिला कम उचाई वाली जगह पर लेटी है तो पुरुष घुटनों के बल बैठ सकता है यदि ऊंची जगह पर महिला लेटी है तो पुरुष खड़े रहकर पोजीशन को अनुरूप कर सकता है) . इसके पश्चात महिला अपने भग क्षेत्र को कूल्हों पर दबाव देते हुए तब तक उपर उठाएजब तक कि योनि शिश्न के सामने तक न पहुंच जाएं. इससे प्रवेश का बेहतरीन एंगल बनता है.इस दौरान आ प चाहें तो उसे अपने कूल्हों के नीचे हाथ लगाने को कह सकती है जिससे वह भी आपके भग क्षेत्र को अपने हिसाब से एडजस्ट कर सकता है. एक बार इस अवस्था में प्रवेश क्रिया शुरू होने के बाद ज्यादा आनंद के लिये पुरुष नीचे से हाथ हटाकर महिला के शरीर की अन्य पसंदीदा जगहों पर हाथ फेरने के लिये स्वतंत्र होता है. इस पोजीशन दोनो की दृश्यता एक दूसरे के अंगों पर होने के कारण ज्यादा उत्तेजक होती है. मूल्यांकन
· महिला (Receiver) को सहूलियत ☻☻☻☻☺
· महिला (Receiver) को परेशानी ☺
· महिला (Receiver) को आनंद ☻☻☻☺
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· पुरुष (Giver) को सहूलियत ☻☻☻☻ ☺
· पुरुष (Giver) को परेशानी
· पुरुष (Giver) को आनंद ☻☻☻☻☻
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· अंतरंगता (Intimacy) ☻☻☻☻
· प्रवेश की गहराई ☻☻☻☻☻
· प्रवेश की गतिशीलता ☻☻☻☻☻
उन्नयनः
तकियाः महिला अपनी सुविधानुसार नीचे तकिया लगाकर पोजीशन को आरामदायक बना सकती है.हाथः पुरुष इस पोजीशन में अपने हाथों उसके गुप्तांगों में फेर कर सेक्स आनंद को और बढ़ा सकता है. परिवर्तनः- हर्षित पोजीशन
- मिशनरी पोजीशन
 
- पेंच पोजीशनः
इसमें महिला करवट के बल लेट जाती है तथा अपना भगक्षेत्र लेटने वाली वस्तु के किनारे पर करके अपने पांव घुटनों से मोड़ लेती है. तथा जांघों को बिस्तर के किनारे के समानान्तर कर लेती है.





3.गहरा भेदन पोजीशनः
इस पो
जीशन और तितली पोजीशन में जो मूल अन्तर है वह यह है कि तितली पोजीशन में महिला का भग क्षेत्र बिस्तर के किनारे पर होता है जब कि इस पोजीशन में ऐसा नहीं होता है. इस पोजीशन में महिला का भगक्षेत्र और पुरुष के घुटने एक ही सतह पर होते है. इस पोजीशन को प्राप्त करने के लिए महिला अपनी पीठ के बल लेट जाती है और अपनी टांगों को उठाकर पुरुष के कंधों पर रख देती है. इस दौरान पुरुष अपने घुटनों के बल जिसमें टांगें उसकी बाहर की ओर फैली होती है (अर्थात पुरुष के पांव घुटनों से तलवे तक सतह से सटे रहते है या वे सतह के समानान्तर रहते हैं). इस अवस्था में वह प्रवेश की तैयारी करता है. इस पोजीशन में यदि महिला अपनी कमर के नीचे तकिया लगा लेती है तो पोजीशन काफी आरामदायक हो जाती है. मूल्यांकन
· महिला (Receiver) को सहूलियत ☻☻☻☻
· महिला (Receiver) को परेशानी ☻
· महिला (Receiver) को आनंद ☻☻☻☻
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· पुरुष (Giver) को सहूलियत ☻☻☻☻
· पुरुष (Giver) को परेशानी ☻
· पुरुष (Giver) को आनंद ☻☻☻☻☺
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· अंतरंगता (Intimacy) ☻☻
· प्रवेश की गहराई ☻☻☻☻☻
· प्रवेश की गतिशीलता ☻☻☻☻☻
उन्नयनः
तकियाः
 महिला अपनी सुविधानुसार नीचे तकिया लगाकर पोजीशन को आरामदायक बना सकती है.हाथः पुरुष इस पोजीशन में अपने हाथों उसके गुप्तांगों में फेर कर सेक्स आनंद को और बढ़ा सकता है. परिवर्तनः- महराब पोजीशन
- आनंद का आइना
- मिशनरी पोजीशन
- पेंच पोजीशन



4.हर्षित पोजीशनः
यह काफी
 आनंददायी और सहज पोजीशन है. इसमें पार्टनरों की निकटता होने तथा एक दूसरे को सहजता से देख पाने के कारण इस पोजीशन में काफी आनंद आता है. यह तितली पोजीशन में थोड़े संशोधन के बाद सहजता से प्राप्त हो जाता है. इस पोजीशन के लिये महिला किसी बिस्तर के किनारे पर पैर नीचे करके बैठ जाती है. फिर वो अपनी टागों को खोल लेती है अर्थात उसके टखने और कंधे एक समानान्तर अवस्था में आ जाते है. साथ ही इस पोजीशन के लिये महिला चाहे तो बिस्तर के अलावा डेस्क, काउंटर, टेबल या फिर कार के हुड पर भी बैठ सकती है. इस पोजीशन में पूरा आनंद पाने के लिये महिला के कूल्हे बिस्तर के एकदम किनारे होने चाहिए बल्कि थोड़ा से बाहर भी हों तो ज्यादा बेरतर होगा. अब पुरुष महिला के बैठने की उंचाई व अपनी सुविधानुसार चाहे तो घुटनों के बल बैठ कर या फिर खड़े होकर प्रवेश क्रिया पूरी कर सकता है. यह पोजीशन पुरुष को धक्कों की काफी स्वतंत्रता देती है.
यह पोजीशन कई कारणों से काफी रोमांचक भी बनती है . इस पोजीशन में पार्टनरों के चेहरे काफी पास होने के कारण एक दूसरे को चूमने की काफी स्वतंत्रता होती है. साथ ही इस पोजीशन में पुरुष काफी गहराई तक प्रवेश कराने में सक्षम होता है. इस पोजीशन की थोड़ी कमी यह है कि इस पोजीशन में सेक्स क्रिया के दौरान कभी-कभी पुरुष के शीघ्र स्खलित होने की भी संभावना रहती है. जिसे धक्कों को रोक कर खत्म किया जा सकता है.
मूल्यांकन
· महिला (Receiver) को सहूलियत ☻☻☻☻☺
· महिला (Receiver) को परेशानी ☺
· महिला (Receiver) को आनंद ☻☻☻☺
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· पुरुष (Giver) को सहूलियत ☻☻☻☻☺
· पुरुष (Giver) को परेशानी
· पुरुष (Giver) को आनंद ☻☻☻☻
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· अंतरंगता (Intimacy) ☻☻☻☻
· प्रवेश की गहराई ☻☻☻☻☻
· प्रवेश की गतिशीलता ☻☻☻☻☻
उन्नयनः
तकियाः
 पुरुष जब घुटनों के बल हो तो घुटनों के नीचे तकिया लगा कर पोजीशन को आरामदायक बना सकता है.महिला भी चाहे तो अपने नीचे तकिया लगा सकती है.हाथः इस क्रिया पुरुष के हाथ स्वतंत्र रहते हैं इसलिए वह इनका उपयोग महिला के शरीर में फेरकर उत्तेजना में वृद्धि कर सकता है. परिवर्तनः- तितली पोजीशन
- मिशनरी पोजीशन

sexkya se sabhar 
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